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कार्यकारिणी सदस्य -इस यात्रा के अविस्मरणीय व्यक्तित्व

देवपुत्र की विकास यात्रा में प्रत्यक्ष एवं सक्रिय प्रमुख सहयोग, व्यक्तित्वों में मा. श्री रोशनलाल जी सक्सेना संपादक 1991 से 1982, श्री विश्वनाथ मित्तल संपादक 1982 से 1991, श्री कृष्णकुमार अष्ठाना प्रधान संपादक 1991 से निरंतर प्रबंध न्यासी 1991 से 2017 अध्यक्ष 2017 से 2022 तक श्री शांताराम भवालकर व्यवस्थापक 1991 से 1997, श्री यतीन्द्र शर्मा अध्यक्ष सरस्वती बाल कल्याण न्यास 2001 से 2017 , डा. विकास दवे 1996 से देवपुत्र की सेवा में, नवम्बर 1999 से जुलाई 2019 तक प्रबंध संपादक, अगस्त 2019 से सितम्बर 2020 तक संपादक अक्टूबर 2020 से निरंतर मानद संपादक , श्री गोपाल माहेश्वरी 2005 से देवपुत्र सेवा में नवम्बर 2012 से निरंतर कार्यकारी संपादक , श्री शशिकांत फडके प्रबंध संपादक अगस्त 2019 से निरंतर, डा. कमल किशोर चितलांग्या अध्यक्ष 2022 से निरंतर, सी.ए. राकेश भावसार प्रबंध न्यासी 2017 से निरंतर हैं। वर्ष 2024 के अगस्त अंक से श्री कृष्णकुमार अष्ठाना को सौरक्षक, श्री गोपाल माहेश्वरी को संपादक एवं श्री नारायण चौहान को प्रबंध संपादक नियुक्त किया गया है।

मराठी संस्करण के संपादन विभाग मे श्री रामचन्द्र शौचे, श्री अरविन्द जवलेकर, श्री सुरेश कुलकर्णी , श्री श्रीपाद कुलकर्णी, श्री मंदार कुलकर्णी का सहयोग अविस्मरणीय है।

देवपुत्र में ‘ सुदीर्घ सेवाएं देते हुए रखने वाले श्री रामभाऊ सोलट, श्री गणपति बारस्कर , श्री रवि मित्तल, श्री विक्रम बोराटे आज भी सेवारत हैं।

महाभारत के अंत में बर्बरीक से पूछा कि युद्ध कौन लड रहा था। उसने कहा था ‘केवल श्री कृष्ण‘। गोवर्द्धनधारण में भी टेक अनेक ने लगाई, पर भार तो श्रीकृष्ण की अंगुलि ने ही उठा रखा था। देवपुत्र की विकास यात्रा में भी श्री कृष्ण कुमार जी का योगदान ऐसा ही है। 16000 से 368925 तक प्रसार संख्या हो या देश के प्रत्येक प्रांत तक देवपुत्र का प्रसार, बाल साहित्यकारों की चार-चार पीढ़ियों को देवपुत्र से जोड़ने का भागीरथ प्रयत्न हो या के ग्रंथागार के लिए देशव्यापी पुस्तक संग्रह अभियान , बाल साहित्य शोध संस्थान, बालसाहित्य सृजनपीठ जैसे महत् उपक्रमों से देवपुत्र को विश्वविख्यात और देश की अग्रणी बाल पत्रिका बनाने में उनकी अनथक परिश्रम, दूरदर्शिता, ध्येयनिष्ठा और सम्पर्क कुशलता का कोई सानी नहीं है। देवपुत्र के लिए आपने अनेक बार विभिन्न राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपप्रधानमंत्री एवं राज्यों के मुख्यमंत्रियों , सरसंघचालकों एवं दिग्गज बाल साहित्यकारों सामाजिक एवं शैक्षणिक जगत की विभिन्न विभूतियों से भेंट की, मार्गदर्शन और आशीर्वाद लिया वही दूसरी ओर वे बच्चों से निरंतर जुड़े रहे। वयोवृद्ध होते हुए भी यह विभूति देवपुत्र को अपना प्राणतत्व मानकर आज भी पूरी ऊर्जा से देवपुत्र के विकास के लिए सचेष्ट हंै। सरस्वती बाल कल्याण न्यास के वर्तमान पदाधिकारी डाॅ. कमल किशोर चितलांग्या की अध्यक्षता में प्रबंधन्यासी सीए राकेश भावसार और कोषाध्यक्ष श्री मोहनलाल गुप्ता के विशेष सक्रिय नेतृत्व में ‘देवपुत्र‘ ने कई विकास योजनाएं तैयार कर संस्थान और पत्रिका को और ऊंचाई प्रदान करने का ध्येय निर्धारण किया है। यह एक सुदीर्घ यात्रा है इसका विहंगावलोकन ही यहां प्रस्तुत है बहुत कुछ समेटा फिर भी बहुत छूटा होगा इसमें संशय नहीं।

यात्रा निरंतर है- चरैवैति चरैवैति यह इक मंत्र है अपना।
नहीं रुकना नहीं थकना सतत चलना सतत चलना।

कार्यकारिणी सदस्य

श्री भाल चंद्र जी रावल, प्रबंध न्यासी सी.ए. राकेश भावसार, प्रबंध न्यासी श्री गोपाल जी काकानी, प्रबंध न्यासी श्री राम जी आरवकर , प्रबंध न्यासी